” सवाली थी वो रात
जिसमें जवाब कहीं न था
नींद बहुत थी आँखों में
कोई ख्वाब कहीं न था। ”
– सहर
~अक्षरों के समुद्र में, शब्दों के मोती और भावनाओं की माला~
” सवाली थी वो रात
जिसमें जवाब कहीं न था
नींद बहुत थी आँखों में
कोई ख्वाब कहीं न था। ”
– सहर
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