कौन शायर?

ऐसी आतिश मेरे दोस्त ने

सीने में जलायी है

लगता है, मेरा हर ख़्वाब

एक मुकम्मल सच्चाई है

उसका ज़िक्र है मेरी शायरी में

होठों पे उसकी रुबाई है

धड़कनों में सलवटें उसकी ,

पलकों पे उसकी अँगड़ायी है

– सहर

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