” कुछ लोग न जाने कहाँ खो गए इस भीड़ में
कोई आहट ना , न दिखाई दिये
शोरगुल एसा था हर जगह,
ना हमें सुन सके ना सुनाई दिये
पहले जिन्दगी फिर यादों से कुछ यूँ हुये रुख़सत
कि फिर सपनों में भी ना दिखाई दिये। ”
~
~अक्षरों के समुद्र में, शब्दों के मोती और भावनाओं की माला~
” कुछ लोग न जाने कहाँ खो गए इस भीड़ में
कोई आहट ना , न दिखाई दिये
शोरगुल एसा था हर जगह,
ना हमें सुन सके ना सुनाई दिये
पहले जिन्दगी फिर यादों से कुछ यूँ हुये रुख़सत
कि फिर सपनों में भी ना दिखाई दिये। ”
~
Leave a comment